चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा; “क्या ऐसे होता है चुनाव, लोकतंत्र की हत्या करने वाले आफिसर पर चले मुकदमा”

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चंडीगढ़ मेयर चुनाव धांधली के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि रिटर्निंग अधिकारी ने मतपत्रों को अवैध किया है। कोर्ट ने सवाल पूछा कि क्या इसी तरह से चुनाव का आयोजन होता है। यह लोकतंत्र का मजाक है। यह लोकतंत्र की हत्या है। पूरे मामले से हम हैरान हैं। इस अधिकारी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अब मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।

दरअसल, आपको बता दें कि 30 जनवरी को चंडीगढ़ में हुए मेयर चुनाव में 16 वोट के साथ बीजेपी के मनोज सोनकर मेयर चुनाव जीत गए थे, वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के 20 में से 8 वोट रिजेक्ट कर दिए गए थे। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था जिसके बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चुनाव अधिकारी अनील मसीह को फटकार लगाते हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लोकतंत्र के साथ मजाक और लोकतंत्र की हत्या करार दिया।

CJI ने चुनाव अधिकारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि‌ ये स्पष्ट है कि चुनाव के दौरान मतपत्रों से छेड़छाड़ की गई उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अदालत पूरी घटना से आश्चर्यचकित है। क्या एक रिटर्निंग ऑफिसर का ये बर्ताव सही है। रिटर्निंग अधिकारी को बताएं कि सुप्रीम कोर्ट उस पर नजर रख रहा है। सीजेआई ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों का पूरा रिकॉर्ड हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के पास जब्त कर लिया जाए और मतपत्र, वीडियोग्राफी को भी संरक्षित रखा जाए। रिटर्निंग ऑफिसर को नोटिस जारी करते हैं कि वो रिकॉर्ड सौंप दें।सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आगे कहा कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चुनाव को सही तरीके से कराने में असफल रहा है।

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