कितनी महफूज हैं दिल्ली-एनसीआर की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स, क्या होगा अगर आया तुर्की जैसा भूकंप

मनोज कुमार

तुर्की और सीरिया से खौफनाक तस्वीरें आ रही हैं। ऊंची इमारतें जमींदोज हो गई हैं। हर तरफ मलबा बिखरा पड़ा है।मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग्स के मलबे में फंसे लोगों को निकाला जा रहा है। तुर्की सीरिया में इस विनाश के बाद भारत में ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग भी शायद टेंशन में होंगे कि अगर इतना जोरदार भूकंप यहां आ गया तो क्या होगा? क्या हम जिन 30-40 मंजिला बिल्डिंगों में रहते हैं, वे लगभग ऐसे जोरदार झटके झेल सकते हैं? पहले वो दौर था जब लोग खुद अपनी पसंद से और मजबूत घर बनाते थे लेकिन आजकल बिल्डर बनाकर देता है और लोगों को पता नहीं रहता कि जिस इमारत में वह रह रहे हैं उसमे लगे मैटीरियल की क्वॉलिटी क्या है।

दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, मुंबई सहित देश के तमाम शहरों में आजकल ऊंची इमारतों में बड़ी आबादी रहती है। इन मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स बनाने में किस तरह का मैटीरियल इस्तेमाल होता है यह सबको पता हैं। हालांकि विकास प्राधिकरण की तरफ से निगरानी रखने और बाकायदा समय-समय पर रिपोर्ट लेने का प्रावधान है। लेकिन देश में भ्रष्टाचार और रिश्वत कल्चर से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जिस तरह फ्लैट के बारे में बिल्डर बताते कुछ हैं देते कुछ हैं, उससे मन में कई तरह की आशंकाएं पैदा होती हैं। इमारत 30 मंजिला हो या 3 मंजिला, जरूरी यह है कि उसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री की जांच हो। सरिये की मजबूती से कोई समझौता न हो, ताकि मजबूती बनी रहे और लोगो की जान के साथ खिलवाड़ ना हो।

दरअसल, राजधानी दिल्ली-एनसीआर में अब भूकंप के झटके महसूस होना आम बात है। भूकंप के लिहाज से राजधानी और उसके आसपास का क्षेत्र अतिसंवेदनशील की श्रेणी में आता है। यहां पिछले दो साल में कई बार भूकंप आ चुका है। जब भी धरती कांपती है तो ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों का दिल भी तेजी से धड़कने लगता है। अब सवाल यह है कि अगर यहां इतना जोरदार भूकंप आया तो क्या होगा? क्योंकि भूविज्ञान मंत्रालय की रिपोर्ट है कि अगर राजधानी में 6 से ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आया तो भारी नुकसान हो सकता है। वैसे भी दिल्ली की लोकेशन के हिसाब से आशंका जताई जाती है कि यहां भविष्य में 7 की तीव्रता का भूकंप आ सकता है।

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर 2019 में भूकंप से बचने के लिए इमारतों की मजबूती जांचने के लिए एक्शन प्लान बनाकर एजेंसियों को ऊंची इमारतों की सेफ्टी जांच का जिम्मा सौंपा गया था, एजेंसी ने केवल 4600 इमारतों को चिन्हित कर मात्र 750 इमारतों का सेफ्टी ऑडिट पूरा करके दिया और यह काम आज भी अधूरा है। जबकि दिल्ली-एनसीआर में लाखों से ज्यादा बिल्डिंग्स हैं। एक्सपर्ट की राय में इन बिल्डिंग्स में से लगभग 80 फीसदी इमारतें भूकंप का तेज झटका नहीं झेल सकती हैं।




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