
जम्मू-कश्मीर के रखने वाले सैकड़ों छात्र पाकिस्तान के मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन ले रहे हैं। कुछ छात्रों ने वहाँ के कॉलेजों में अन्य कोर्स भी चुने हैं।
बीते दो दशक में सैकड़ों कश्मीरी छात्र पाकिस्तान के कॉलेजों में एडमिशन ले चुके हैं। उन्होंने वहाँ के कॉलेजों में प्रोफ़ेशनल कोर्स चुने हैं और वहीं से उच्च शिक्षा लेने का विकल्प चुना है।
इस वक़्त क़रीब 350 छात्र पाकिस्तान के कॉलेजों से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। यह बात पाकिस्तान के पंजाब मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहीं एक छात्र के पिता ने बताई है।।
उन्होंने बताया कि वहाँ के कॉलेजों में कई ऐसे कश्मीरी छात्र हैं जिन्होंने दूसरे कोर्स चुने हैं।
उनसे पूछा गया कि कश्मीरी छात्र क्यों पाकिस्तान के मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों को चुन रहे हैं? तो उन्होंने कहा, “पहले लोगों में यह राय थी कि बच्चों को अगर बाहर से डॉक्टरी की पढ़ाई करानी है तो उन्हें रूस भेजा जाये या कुछ अन्य देशों में भेजा जाये. पर अब वे बच्चों को पाकिस्तान भेज रहे हैं, पर इसमें बुरा क्या है.”
भारत के मुकाबले पाकिस्तान में है पढ़ाई सस्ती’
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के जिस कॉलेज में मेरी बेटी को दाख़िला मिला, वो इस वक़्त वहाँ के बेस्ट कॉलेजों की श्रेणी में नंबर तीन पर है. सभी माँ-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छे से अच्छे कॉलेज में पढ़ें. इसलिए मुझे यह निर्णय सही लगा. ख़ासकर लड़कियों के मामले में हर माँ-बाप चाहता है कि वो सफल हों.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “पाकिस्तान में पढ़ाई फ़िलहाल अन्य देशों की तुलना में सस्ती है.”
उन्होंने बताया कि उनकी बेटी का दाख़िला SAARC कोटे के तहत हुआ है और उन्हें एक सेमेस्टर के क़रीब 36 हज़ार रुपये फ़ीस के तौर पर देने होते हैं.
पाकिस्तान में पढ़ रहे एक अन्य छात्र के भाई जो अपनी पहचान ज़ाहिर नहीं करना चाहते थे, उन्होंने कहा कि वे भी पाकिस्तान में पढ़ाई करना चाहते हैं.
उन्होंने बताया कि “लोगों को लगता है कि बच्चों के वहाँ पढ़ाने का मतलब है, घर जैसी जगह पर रहकर पढ़ना.”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान के कॉलेज भारत से काफ़ी सस्ते हैं, बल्कि कई देशों से सस्ते हैं. वहाँ बेसिक फ़ीस काफ़ी कम है. फिर पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है और कश्मीरियों को बाहरी नहीं समझा जाता. इस वजह से वहाँ पढ़ने गये कश्मीरी छात्रों को असुरक्षा का भाव महसूस नहीं होता.”
