
मिस्र में आज ही के दिन एक ऐसी घटना घटी, जिसमें 370 से ज्यादा लोगों की जलकर मौत हो गई। वहीं, कुछ लोग अपनी जान बचाने के लिए ट्रेन की खिड़कियों से कूद गए, लेकिन अपनी जान बचाने की कोशिश में वे मौत के आगोश में सो गए। इस घटना को 19 साल हो गए है लेकिन मिस्र के लोगो के लिए यह घटना कभी ना भूलने वाली घटना बन गयी है।
तारीख 20 फरवरी 2002 थी, मिस्र, लोग ईद-अल-अधा (बकरीद) जैसे बड़े त्योहार की तैयारी कर रहे थे। उसी समय, राजधानी काहिरा में रहने वाले कुछ लोग इस त्योहार के सिलसिले में अपने घर लौट रहे थे। इन सभी यात्रियों ने काहिरा से असवान तक चलने वाली ट्रेन में यात्रा शुरू की। लेकिन बकरीद जैसे बड़े त्योहार के कारण ट्रेन में बहुत भीड़ थी। दूसरी ओर, मिस्र की ट्रेनों को दुनिया की सबसे खराब हालत वाली ट्रेनों में गिना जाता है। ऐसे में ट्रेन में बढ़ती भीड़ चिंता बढ़ा रही थी। यह तीसरी श्रेणी की ट्रेन थी।
1650 सीटों वाली ट्रेन में सवार थे 3 हज़ार लोग
काहिरा से असवान की दूरी 900 किलोमीटर थी और इस दूरी को तीसरी श्रेणी की ट्रेन से पूरा करने में 17 घंटे लगते थे। इसके पीछे कारण यह था कि ट्रेन लगभग हर स्टेशन पर रुकती थी। इस ट्रेन में एक लकड़ी की सीट थी। उस समय ट्रेन की शौचालय की स्थिति बदतर थी और लगभग हर खिड़की टूटी हुईथी। यह ट्रेन अक्सर क्षमता से अधिक लोगों की सवारी करती थी। कुछ यात्री ट्रेन के फर्श पर ही यात्रा कर रहे थे। कुछ लोग किराया देने से बचने के लिए ट्रेन के दरवाजों पर लटक कर और छतों पर बैठकर यात्रा कर रहे थे। बताया गया कि इस ट्रेन में लगभग 3000 यात्री थे, जबकि इसमें केवल 1650 सीटें थीं।
चाय बनाने के लिए स्टोव जलाने से ट्रेन में लगी आग
बताया गया कि रात के करीब एक बजे एक यात्री ने चाय के लिए अपने साथ लाए छोटे गैस स्टोव को जलाया। हालांकि ट्रेन में ऐसा करना मना था, लेकिन गरीब यात्री अक्सर यात्रा के दौरान चाय और कॉफी बनाने के लिए अपने साथ गैस चूल्हा लेकर जाते थे। वहीं, झटकों के कारण गैस चूल्हा लीक हो रहा था। इसी का परिणाम था और जैसे ही उसने गैस चूल्हा जलाने के लिए माचिस जलाई उसमे आग लगी। जैसे ही आग लगी, इस ट्रेन के कोच में सवार लोगों के बीच अराजकता फैल गयी।
अपनी जान बचाने के लिए ट्रेन से कूदे यात्री, कुछ की हुई मौत, कुछ हुए घायल
दूसरी ओर, रात होने के कारण, चालक ने ट्रेन की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा के करीब बढ़ा दी थी। ट्रेन इतनी तंगहाल थी कि उसमें कोई अलार्म सिस्टम नहीं था। ऐसे में ड्राइवर पूरी तरह से अनजान था कि ट्रेन में आग लग गई है। वहीं आग लगने से लोग घबरा गए और ट्रेन की खिड़कियों से कूदने लगे। जिसमे कुछ लोग मारे गए और कुछ घायल हुए। दूसरी ओर, जब ड्राइवर ने इंजन के पीछे से गर्मी और चीख सुनी, तो उसने ट्रेन रोक दी। हालांकि, तब तक देर हो चुकी थी और सैकड़ों लोग आग से जल चुके थे। मरने वालों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे।
ट्रेन से कूदने वाले लोगों के शव ट्रैक पर पड़े मिले
चालक ने काहिरा से कुछ दूरी पर, अल-अयात में ट्रेन को रोक दिया, इसलिए मदद के लिए पहुंचने में बहुत अधिक समय लगा। दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे और घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। बचाव दल ने सैकड़ों शवों को बोगियों से बाहर निकाला। वहीं, जो लोग अपनी जान बचाने के लिए ट्रेन से कूद गए थे, वे भी ट्रैक के किनारे कई किलोमीटर तक मृत पाए गए। ट्रैक के किनारे करीब 40 शव मिले थे। वहीं, इस घटना में 65 लोग बुरी तरह घायल हो गए। कुल मिलाकर, इस ट्रेन दुर्घटना में 370 से अधिक लोगों की मौत हो गई।