मनोज कुमार‚ समाचार संपादक
विश्व स्वथ्य संगठन हर वर्ष16 अक्टूबर को विश्व स्पानल ( रीड की हड्डी) दिवस के रूप मे मनाता हैं। इस दिन रीड की हड्डी से सम्बंधित रोगो के विषय मे आम जनता को जागरुक किया जाता हैं। इस वर्ष का संदेश “बैक ऑन ट्रैक” है, चूंकि कोरोना महामारी के कारण पुरा विश्व हिल चुका है। सभी लोगो को एक लम्बे अर्से तक लॉक डाउन के कारन घर पर ही रहकर कार्य करना पड़ा है अतः सामान्य स्थिर जीवन जीते हुए व्यायाम की कमी रही है। जिसके कारण से हमारे स्वास्थ्य के साथ कमर भी कमज़ोर हुई है। ” व्यायाम के द्वारा पुनः कमर को मजबूत बनाना है” इस संदेश के साथ स्वयं की अच्छी देख भाल करके कमर के दर्द और अन्य विकारो को रोकने के लिये सभी वर्गो एवं उम्र के लोगो को जागरुक, एवं प्रेरित करने का लक्ष्य रखा गया है।

Senior orthopaedic surgeon,Meerut
इस बारे मे अधिक जानकारी देते हुए मेरठ के वरिष्ठ हड्डि रोग विशेषज्ञ डा. लोकेश मराठा बताते है की लगभग 70-80% जनमानस को जीवन कल मे कभी ना कभी कमर दर्द ( साइटिका ) से पीडित होता है। अमीर या गरीब, बच्चे या बड़े सभी को कमर दर्द अथवा कमर के विकारो के कारण कम अथवा ज्यादा दिक्कते होती रहती है। कमर दर्द कोई रोग नही है यह गलत तरीके से बैठने उठने व कार्य करने ( स्पानडिलाइटिस, रूमैटिक गठिया व डिस्क डिस् ऑर्डर ) से लेकर अत्यंत गम्भीर बिमारी जैसे स्पानल टीबी व स्पाइनल ट्यूमर भी इस रोग के प्रमुख कारण हो सकते है।
- सुन्नपन का अहसास होना
- कमजोरी के कारण उठने मे दिक्कत
- गर्दन, पीठ, कमर व पैर मे दर्द और जकड़ंन
- लिखने, बटन लगाने व भोजन करने मे समस्या होना
- अतिगंभीर मामलो में मलमूत्र सम्बंधी समस्या
रीड की हड्डी मे दर्द व विकार का कारण जानना सबसे अधिक आवश्यक है क्युंकि इलाज उसी के अनुसार बिना आपरेशन के अथवा आपरेशन से सम्भव हो पाता है। कमर दर्द कोई गम्भीर समस्या नही है यदि उसकी सही पहचान व सही इलाज सही समय पर किया जाये।
