
मुजफ्फरनगर: हाथरस में रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पर हुए लाठीचार्ज के मुद्दे पर एकजुट हुए जाट समाज से साथ विपक्षी दलों ने भी रालोद की लोकतंत्र बचाओ रैली में अपनी ताकत दिखाई। प्रशासन की चेतावनी को किनारा करते हुए रैली में हजारों की संख्या में किसानो के साथ रालोद और विपक्षी दलों के कार्यकर्ता शामिल हुए।
बता दे कि प्रशासन ने रैली की अनुमति नहीं दी थी लेकिन रैली करने पर अड़े रालोद और विपक्षी दलों ने प्रशासन की चेतावनी को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। दोपहर तीन बजे तक रैली में हजारों की संख्या में भीड़ जुट चुकी थी और लोगों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा था। वहीं भारी भीड़ देख प्रशासन के हाथ पांव फूले हुए थे।

गौरतलब है कि हाथरस कांड के विरोध में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे रालोद महासचिव जयंत चौधरी पर पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया था। इससे आहत जयंत चौधरी ने ट्वीट कर उसी दिन प्रदेश सरकार और प्रशासन को चेतावनी दे डाली थी कि मिलते हैं 8 तारीख को मुजफ्फरनगर में।
जयंत चौधरी पर लाठीचार्ज को रालोद ने जाट अस्मिता और मान सम्मान से जोड़ते हुए बाकी बिरादरियों और विपक्षी नेताओं को भी एकजुट कर लिया था। जयंत के समर्थन में ही बालियान खाप और भाकियू मुखिया नरेश टिकैत के आवास पर जाटों की सभी खाप के मुखिया एकजुट हुए थे। इस बैठक में भी जयंत चौधरी पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए इसे जाटों के मान सम्मान की लड़ाई बताया गया था। इसके बाद सभी ने एक सुर में आठ अक्टूबर यानि आज होने वाली रैली में ताकत दिखाने का आहृवान किया था। इसी आहृवान पर मुजफ्फरनगर के जीआईसी ग्राउंड पर सुबह से ही लोगों का रेला जुटना शुरू हो गया था।
हालांकि प्रशासन ने रैली को टालने का पूरा प्रयास किया, कोरोना में भीड़ जुटने की बात कहते हुए रैली की परमिशन भी रद कर दी गई है। हालांकि इससे रैली के आयोजकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और धीरे धीरे रैली स्थल पर भीड़ जुटनी शुरू हो गई। दोपहर के दो बजते बजते हजारों की संख्या में लोग रैली स्थल पर जमा हो गए। रैली में शामिल होने के लिए जयंत चौधरी कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा और कांग्रेस नेता इमरान मसूद के साथ एक ही गाड़ी में सवार होकर आयोजन स्थल पर पहुंचे। वहीं सपा नेता अतुल प्रधान, पूर्व सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव सहित तमाम अन्य नेता भी पहुंचे। वहीं रैली पर सुरक्षा के तमाम इंतजाम करते हुए दस कंपनी पीएसी और कई जिलों का फोर्स लगाया गया है।
