
देहरादून: रविवार को उत्तराखंड में चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी (Uttarakhand Glacier Tragedy) में हिमखंड के टूटने से अलकनंदा सहित इसकी सहायक नदियों में अचानक भयंकर बाढ़ आ गई है। बाढ़ की चपेट में आने से कई लोगों की मौत हो चुकी है। अभी तक 10 लोगों के शव बरामद हो चुके है। मौके पर बचाव कार्य शुरू कर दिए गए है। वही इस आपदा के बाद गढ़वाल क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया गया है। राज्य के आपदा मोचन बल (SDRF) की डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया है कि ऋषिगंगा (Rishiganga) ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक कामगार संभवत: इस प्राकृतिक आपदा से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। इन 150 कामगारों से अभी कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है।
आईटीबीपी के प्रवक्ता ने कहा, रैणी गांव के निकट एक पुल ढहने के कारण कुछ सीमा चौकियों पर संपर्क पूरी तरह टूट गया है। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि बाढ़ के बाद करीब 50-100 लोग लापता हैं। इनमे से 10 लोगों के शव बरामद किए गए हैं।
बाढ़ से चमोली जिले के निचले इलाकों में खतरा देखते हुए राज्य आपदा प्रतिवादन बल और जिला प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है. हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि नदी के बहाव में कमी आई है जो राहत की बात है और हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है.
चमोली जिले में एवलांच के बाद ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गया है, जबकि धौलीगंगा पर बने हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूट गया, जिससे गंगा और उसकी सहायक नदियों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। इसे देखते हुए राज्य में चमोली से लेकर हरिद्वार तक रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। जब यह हादसा हुआ, तब दोनों प्रोजेक्ट पर काफी संख्या में मजदूर कार्य कर रहे थे। इस हादसे में करीब 150 लोगों के मरने की आशंका है, जबकि 10 के शव बरामद किए गए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार इस घटनाक्रम पर निगरानी रखे हुए हैं। वे त्रिवेंद्र सिंह रावत जोशीमठ पहुंच गए हैं। उन्होंने यहां घटनास्थल का मुआयना किया और पूरी जानकारी ली। वहीं, पानी कर्णप्रयाग तक पहुंच गया है।