मध्यप्रदेश और राजस्थान में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये के पास पहुंच गई हैं, जबकि डीजल की कीमतें भी शतक लगाने के करीब है। देश में रोजाना पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। बीते 11 दिन में ही देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल के दाम 3 रुये 28 पैसे और डीजल के दाम 3 रुपये 49 पैसे बढ़ चुके हैं।

यह हाल तब है जब कच्चे तेल के दाम कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की तुलना में आधे हो चुके हैं। इसके बावजूद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईंधन की बढ़ती कीमतों के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं सरकार ने साफ कह दिया है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम करना उनके हाथ में नही है।
अटल सरकार से मोदी सरकार तक ऐसे बढ़ीं कीमतें
ईंधन | वर्ष 2004 अटल सरकार | वर्ष 2009 मनमोहन सरकार | वर्ष 2014 मोदी सरकार | वर्ष 2021 मोदी सरकार |
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पेट्रोल | 35.71 | 40.72 | 71.41 | 90.85 |
डीजल | 22.74 | 32.92 | 56.72 | 80.97 |
नोट : कीमतें रुपये में
आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि मनमोहन सरकार से मोदी सरकार तक पेट्रोल-डीजल पर कितना टैक्स बढ़ गया? सरकार की कमाई कितनी बढ़ गई? सरकारी तेल कंपनियों का मुनाफा कितना बढ़ गया?
कच्चे तेल पर मोदी का नसीब अच्छा है
मोदी ने तेल की कीमतों में तेजी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है, ऐसे में यह जानना जरूरी है जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब कच्चे तेल की कीमत क्या थी। इसके लिए हमें मई 2014 में जाना होगा, जब मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उस वक्त कच्चे तेल की कीमत 106.85 डॉलर प्रति बैरल थी। मई 2014 में एक डॉलर 59.44 रुपये का था, जबकि एक बैरल में 159 लीटर तेल आता है। इस हिसाब से 6351 रुपये में एक बैरल या 159 लीटर कच्चा तेल मिलता था।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के तीन महीने बाद ही यानी सितंबर में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के नीचे आ गई और तब से नीचे ही है। सत्ता में आने के बाद जब कच्चे तेल की कीमतें घटीं, तो कांग्रेस ने इसे मोदी का नसीब बताया था। मोदी ने भी कांग्रेस पर तंज कसते हुआ कहा था कि अगर मेरे नसीब से देश की जनता का भला हो रहा है, तो दिक्कत क्या है?
कच्चे तेल की कीमतें घटीं, लेकिन पेट्रोल डीजल के रेट लगातार बढ़े
वर्ष | कच्चे तेल की कीमत | पेट्रोल की कीमत | डीजल की कीमत |
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मई 2014 | 6351.10 | 71.41 | 56.71 |
मई 2015 | 4098.52 | 63.16 | 49.57 |
मई 2016 | 3001.85 | 62.19 | 50.95 |
मई 2017 | 30261.76 | 68.09 | 57.35 |
मई 2018 | 4876.20 | 74.63 | 65.93 |
मई 2019 | 4881.06 | 73.13 | 66.71 |
मई 2020 | 2321.76 | 69.59 | 62.29 |
मई 2021 | 4561.94 | 90.58 | 80.97 |
नोट : कीमतें रुपये में, एक बैरल में 159 लीटर तेल आता है।
..लेकिन जनता का नसीब अच्छा नहीं है
जनवरी 2021 में कच्चे तेल की कीमत 54.79 डॉलर प्रति बैरल थी। यानी, मनमोहन सरकार जाने के बाद से कच्चे तेल की कीमतें लगभग आधी हो गई हैं। जनवरी 2021 में एक डाॅलर की कीमत 73.37 रुपये थी। इस हिसाब से एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 4019 रुपये के आसपास हुई। यानि कच्चे तेल की कीमत को लेकर मोदी का नसीब वाकई अच्छा है, लेकिन जनता का नसीब बद से बदतर हो गया। पेट्रोल डीजल की कीमतें कम होने की बजाया और ज्यादा बढ़ गईं, क्योंकि टैक्स पर टैक्स बढ़ गया।
दरअसल जब मोदी ने देश की कमान संभाली तब पेट्रोल पर 34% और डीजल पर 22% टैक्स लगता था, लेकिन आज पेट्रोल पर 64% और डीजल पर 58% तक टैक्स लग रहा है। यानी पेट्रोल पर दोगुना और डीजल पर ढाई गुना टैक्स मोदी राज में बढ़ गया।
बेस प्राइज कम हुआ, लेकिन टैक्स बढ़ गया
पेट्रोल | पेट्रोल | डीजल | डीजल | |
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वर्ष | मई 2014 | फरवरी 2021 | मई 2014 | फरवरी 2021 |
बेस प्राइज | 47.13 | 32.10 | 44.45 | 33.71 |
केंद्र का टैक्स | 10.38 | 32.90 | 4.52 | 31.80 |
डीलर कमीशन | 2.00 | 3.68 | 1.19 | 2.51 |
राज्य का टैक्स | 11.90 | 20.61 | 6.55 | 11.68 |
कुल कीमत | 71.41 | 89.29 | 56.71 | 79.70 |
सोर्स : IOCL, PPAC.GOV.IN, आंकड़े दिल्ली में पेट्रोल की कीमत के हैं
13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी, घटाई सिर्फ तीन बार
मई 2014 में एक लीटर पेट्रोल पर 10.38 रुपए और डीजल पर 4.52 रुपए एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार वसूलती थी। इस वक्त एक लीटर पेट्रोल पर 32.98 रुपए और डीजल पर 31.83 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगती है। मोदी के आने के बाद केंद्र सरकार पेट्रोल पर तीन गुना और डीजल पर 7 गुना टैक्स बढ़ा चुकी है। तब से अब तक मोदी सरकार ने 13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है, जबिक घटाई महज तीन बार। आखिरी बार मई 2020 में एक्साइज ड्यूटी बढ़ी थी।
मोदी सरकार में एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर तीन गुना, डीजल पर 7 गुना बढ़ी
वर्ष | पेट्रोल | डीजल |
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मई 2014 | 10.38 | 4.52 |
फरवरी 2021 | 32.98 | 31.83 |
कीमत रुपये में, सोर्स : PPAC.GOV.IN
इससे सरकार की कमाई तीन गुना बढ़ी
पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से मोदी सरकार ने अपनी कमाई तीन गुना तक बढ़ा ली है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल यानी PPAC के मुताबिक 2013-14 में सिर्फ एक्साइज ड्यूटी से सरकार ने 77,982 करोड़ रुपए कमाए थे। जबकि 2019-20 में 2.23 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई हुई।
2020-21 के पहली छमाही में यानी अप्रैल से सितंबर तक मोदी सरकार को 1.31 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई। अगर इसमें और दूसरे टैक्स भी जोड़ लें, तो ये कमाई 1.53 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है। अगर लॉकडाउन नहीं लगा होता तो यह आंकड़ा इसका दोगुना होता।
एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की कमाई
वर्ष | एक्साइज ड्यूटी |
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2013-14 | 77 हजार 982 करोड़ |
2014-15 | 99 हजार 68 करोड़ |
2015-16 | 1 लाख 78 हजार 447 करोड़ |
2016-17 | 2 लाख 42 हजार 691 करोड़ |
2017-18 | 2 लाख 29 हजार 716 करोड़ |
2018-19 | 2 लाख 14 हजार 369 करोड़ |
2019-20 | 2 लाख 23 हजार 57 करोड़ |
2020-21 | 1 लाख 31 हजार 545 करोड़ |
सोर्स : PPAC.GOV.IN, आकंड़े : करोड़ में, 2020-21 के आंकड़े पहली छमाही के
राज्य सरकारें भी तो टैक्स लगाती हैं
पेट्रोल डीजल में सिर्फ केंद्र सरकार ही अपनी झोली नहीं भरती, राज्या सरकारे भी अपनी कमाई करने के लिए पेट्रोल डीजल पर अलग-अलग टैक्स लगाती हैं। जैसे केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के रूप में टैक्स वसूलती है वैसे ही रावज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर कई तरह के टैक्स और सेस लगाती हैं। इनमें सबसे प्रमुख वैट और सेल्स टैक्स होता है। पूरे देश में सबसे ज्यादा वैट/सेल्स टैक्स राजस्थान सरकार वसूलती है। यहां पेट्रोल पर 38% और डीजल पर 28% टैक्स लगता है। उसके बाद मणिपुर, तेलंगाना और कर्नाटक हैं, जहां पेट्रोल पर 35% या उससे अधिक टैक्स लगता है। इसके बाद मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर 33% वैट लगता है।
55 फीसदी बढ़ गई राज्य सरकारों की कमाई
पेट्रोल-डीजल पर वैट और सेल्स टैक्स लगाकर राज्य सरकारों ने 2013-14 के मुकाबले 2019-20 में अपनी कमाई 55 फीसदी बढ़ा ली, हालांकि यह अब भी केंद्र सरकार से कम है। 2013-14 में राज्य सरकारों ने वैट और सेल्स टैक्स से 1.29 लाख करोड़ रुपए कमाए थे। 2019-20 में ये कमाई 55% बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई। 2020-21 की पहली छमाही में ही राज्य सरकारों ने 78 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कमाए हैं। अग लॉकडाउन न लगा होता तो यह भी दोगुनी होती।
सरकारी कंपनियों के अच्छे दिन आए
देश में तीन बड़ी सरकारी तेल कंपनियां हैं। इनमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम शामिल हैं। इन तीनों ही कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है। इन तीनों कंपनियों ने दिसंबर 2019 में 4,347 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। जबकि दिसंबर 2020 में इनका मुनाफा बढ़कर 10,050 करोड़ रुपए हो गया।
ऑयल कंपनियों की कमाई भी 200 प्रतिशत तक बढ़ी
Indian Oil | Bharat Petroleum | Hindustan Petroleum | |
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दिसंबर 2019 | 2339 करोड़ | 1261 करोड़ | 747 करोड़ |
दिसंबर 2020 | 4917 करोड़ | 2778 करोड़ | 2355 करोड़ |
मुनाफा | 110% | 120% | 215% |
आंकड़े करोड़ में [खबर साभार- खबरीलाल]
