
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी शिवसेना ने अपने मुख्य पत्र ‘समाना’ में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पर निशाना साधा है और उनके प्रस्तावित उपवास को रद्द करने पर तंज कसा है है। समाना के संपादकीय पेज में कहा गया है कि अब अन्ना को बताना चाहिए कि वह किसान के साथ हैं या सरकार के साथ। हेडलाइन में लिखा है, “अन्ना किसकी तरफ है?”
आपको बता दे कि अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने घोषणा की थी कि वह केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ शनिवार को महाराष्ट्र में अपने गांव रालेगन सिद्धि में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे। हालांकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी से मुलाकात के बाद अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने अपने अनशन को टालने का ऐलान कर दिया।
जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो उस दौरान, अन्ना दो बार दिल्ली आए और उन्होने तब केन्द्र सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन की शुरुआत की। तब अन्ना की मशाल में तेल डालने का काम भाजपा कर रही थी। लेकिन पिछले सात वर्षों में नोटबंदी से लॉकडाउन तक मोदी सरकार के कई निर्णयों से जनता बेजार हुई, लेकिन अन्ना ने करवट भी नहीं ली. अन्ना से पूछा गया है कि मतलब आंदोलन सिर्फ कांग्रेस के शासन में करना है क्या? बाकी अब रामराज अवतरित हो गया है क्या?”
इस संपादकीय में आगे लिखा है, “अन्ना हजारे अनशन का अस्त्र बाहर निकालना और बाद में उसे म्यान में डाल देना, ऐसा इससे पहले भी हो चुका है‚ इसलिए अभी भी हुआ तो इसमें अनपेक्षित जैसा कुछ नहीं था। भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए आश्वासन के कारण अन्ना संतुष्ट हो गए होंगे तो यह उनकी समस्या है। किसानों के मामले में दमन का फिलहाल जो चक्र चल रहा है, कृषि कानूनों के कारण जो दहशत पैदा हुई है बुनियादी सवाल उसे लेकर है।
इस संदर्भ में एक निर्णायक भूमिका अन्ना अख्तियार कर रहे हैं और उसी दृष्टिकोण से अनशन कर रहे हैं, ऐसा दृश्य निर्माण हुआ था, परंतु अन्ना ने अनशन पीछे ले लिया. इसलिए कृषि कानून को लेकर उनकी निश्चित तौर पर भूमिका क्या है, फिलहाल तो यह अस्पष्ट ही है.”