
हमारे देश के लोग काफी समय से 5G सर्विस का इंतजार कर रहे हैं लेकिन अभी ठीक से ये 5G सर्विस लॉन्च नही हो पाई है। जबकि अमेरिका और चीन 6G की रेस में दौड़ लगान लगे हैं। इसके लिए दोनों देशों में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है। हालांकि अभी इसे अमलीजामा पहनाने में कई साल का वक्त लग सकता है। बताया जा रहा है कि 6G नेटवर्क की स्पीड 5G नेटवर्क से 100 गुना ज्यादा होगी।
यह भी कहा जा रहा है कि जो देश 6G नेटवर्क को विकसित करने में पहले सफलता हासिल करेगा वह दुनिया भर के टेलीकॉम बाजारों में राज करेगा। चीन टेक्नोलॉजी के मामले में अन्य देशों के मुकाबले काफी आगे हैं और इसी की बदौलत 5G सर्विस को लेकर चीन वर्ल्ड में लीडर के तौर पर उभरा है। चीन की घरेलू Huawei कंपनी ने अपनी आकर्षक कीमतों के चलते 5G बाजार में अन्य प्रतिद्वंदी कंपनियों को काफी पीछे छोड़ दिया है।
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दूसरी ओर 6G नेटवर्क के विकास और पेटेंट को सबसे पहले लागू करने के लिए अमेरिका जी जान लगाए हुए हैं। अगर अमेरिका ऐसा कर लेता है तो उसे वायरलेस तकनीक की दुनिया में अपनी खोई हुई जमीन वापस मिल सकती है। अमेरिकी कंसलटेंसी फर्म Frost & Sullivan के इनफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन्स विभाग के सीनियर इंडस्ट्री डायरेक्टर विक्रांत गांधी (Vikrant Gandhi) ने बताया कि 5G के विपरीत उत्तरी अमेरिका इस बार लीडरशिप को आसानी से अपने हाथ से नहीं जाने देगा। संभावना है कि 6G नेटवर्क लीडरशिप के लिए प्रतिस्पर्धा 5 G की तुलना में काफी जबरदस्त होगी।
आपको बता दें कि अमेरिका काफी पहले से इसकी शुरूआत कर चुका है। साल 2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि वह 6G नेटवर्क तकनीकी शुरूआत जल्द से जल्द चाहते हैं। हालांकि चीन भी इस तकनीक में पहले से ही आगे चल रहा है। चीन ने संभावित 6G ट्रांसमिशन के लिए एयरवेव्स की टेस्टिंग करने के लिए नवंबर में एक सैटेलाइट लॉन्च की गई थी और Huawei का कनाडा में 6G अनुसंधान केंद्र भी है। टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी ZTE ने चीन की Unicom Hong Kong के साथ मिलकर इस टेक्नोलॉजी का विकाश पहले से ही शुरू कर दिया है।
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gadgets360.com की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने भी 6G तकनीक पर ज़ोर-शोर से काम करना शुरू कर दिया है। ATIS (द अलायंस फॉर टेलीकम्युनिकेशन्स इंडस्ट्री सॉल्यूशन्स) ने अक्टूबर में देश को 6G तकनीक में लीडर बनाने के लिए नेक्स्ट जी अलायंस की शुरुआत कर दी थी। इस अलायंस में Apple, AT&T, Qualcomm, Google और Samsung जैसे टेक्नोलॉजी दिग्गज शामिल हैं, लेकिन चीनी दिग्गज Huawei नहीं है। इससे साफ दिखाई देता है कि अमेरिका चीनी कंपनियों को अभी भी दबाने के मूड में है।
गठबंधन ने यह दिखाया कि जिस तरह से दुनिया 5 जी प्रतिद्वंद्विता के परिणामस्वरूप शिविरों का विरोध कर रही है। यूएस द्वारा नेतृत्व किया गया, जिसने Huawei को जासूसी जोखिम के रूप में पहचाना – एक आरोप चीनी विशालकाय इनकार करता है – जापान, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन और यूके सहित देशों ने अपने 5 जी नेटवर्क से फर्म को बंद कर दिया है। हालांकि, Huawei का स्वागत रूस, फिलीपींस, थाईलैंड और अफ्रीका और मध्य पूर्व के अन्य देशों में किया जाता है।
पिछले साल दिसंबर में यूरोपीय संघ ने भी Nokia के नेतृत्व में 6G वायरलेस प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जिसमें Ericsson AB और Telefonica SA के साथ-साथ कुछ विश्वविद्यालय भी शामिल हैं।