नीरज गोला‚ संवाददाता

मेरठ। शहर मे कुछ बड़ी दुकानो के अलावा मिठाई की क्वालिटी पर सवाल उठते रहे हैं और छापा मारकर खाद्य विभाग की टीम ने अक्सर बासी एवं दुर्गन्ध उठती मिठाई बेचने वाले दुकादारों पर कार्रवाई की है। बावजूद इसके ऐसे मामले लगातार आते हैं। लेकिन अब इन सब पर रोक लगने वाली है। क्योकि फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया ने लोगों के स्वास्थय को ध्यान में रखते हुए बड़ा कदम उठाया है। जिसके तहत बाजार में बिकने वाली खुली मिठाइयों की बनने की तारीख और उसे कब तक इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी पूरी जानकारी दुकानदार को ग्राहकों को देनी होगी। साथ ही डिब्बा बंद मिठाइयों के लिए यह जानकारी डिब्बे के बाहर लिखनी होगी। ये नया नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा।

इस बारे में एफएसएसएआइ ने सभी फूड कमिश्नरों को को पत्र लिखकर कहा है कि सार्वजनिक हित और फूड सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए यह तय किया गया है कि बाजारों मे या खुले में बिकने वाली मिठाई की एक्सपायरी डेट को एक अक्टूबर, 2020 से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही मिठाई बनाने वाले दुकानदार स्वेच्छा से उसके बनाए जाने की तारीख को प्रदर्शित कर सकते हैं। इसके साथ ही एफएसएसएआइ ने अपनी बेवसाइट में मिठाइयों के इस्तेमाल को लेकर समय सीमा और उसके मानक तय किए हैं। इसके साथ ही नागरिकों को बासी खाना या मिठाई दिए जाने या उसकी समय सीमा खत्म होने के बाद भी मिठाइयों की बिक्री की सूचना मिलने पर इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश भी जारी किए हैं।
दुकानदार बोले, नियमों को पूरी तरह से लागू करना मुश्किल

एफएसएसएआइ के नियम पर मिठाई दुकानदारों ने कडा एतराज जताया है। उनको कहना है कि एक्सपायरी डेट लिखने से मिठाई की बिक्री पर असर पडेगा। ग्राहक वही मिठाई खरीदेगा जो उस दिन बनी हाेगी। इससे उनके व्यापार पर बुरा प्रभाव पडेगा।
आपको बता दे कि पहले यह निर्णय एक जून से लागू होना था, लेकिन काेरोना की वजह से इसे तीन महीना बढ़ा दिया गया था। मेरठ की बात करें तो यहां मिठाई की तकरीबन एक हजार से अधिक दुकानें हैं जहांं प्रतिदिन औसतन 35 से 45 क्विंटल मिठाई की बिक्री होती है, जबकि दीपावली, होली, रक्षा बंधन और लगन के सीजन में बिक्री दोगुनी हो जाती है।
