
मुस्लिमों के सिविल सेवा में जाने को लेकर सुदर्शन टीवी पर दिखाए जा रहे प्रोग्राम पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस कार्यक्रम पर खासा एतराज़ भी जताया है। जिसके बाद कार्यक्रम के बाकी बचे हुए एपिसोड दिखाने पर रोक लगा दी गई है।
सुनवाई के दौरान तीन जजों की खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस चैनल की ओर से किए जा रहे दावे घातक हैं और इनसे यूपीएसी की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लग रहा है और ये देश का नुक़सान करता है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “एक ऐंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है। क्या इससे ज़्यादा घातक कोई बात हो सकती है। ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और यूपीएससी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लगता है।”
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जो यूपीएससी के लिए आवेदन करता है वो समान चयन प्रक्रिया से गुज़रकर आता है और ये इशारा करना कि एक समुदाय सिविल सेवाओं में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है, ये देश को बड़ा नुक़सान पहुँचाता है।
इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फिर से सुनवाई करेगा।
हाईकोर्ट ने भी लगाई थी रोक
आपको बता दे कि इससे पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने इस कार्यक्रम पर 28 अगस्त को रोक लगा दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश नवीन चावला ने इस कार्यक्रम के प्रसारण के ख़िलाफ़ स्टे ऑर्डर जारी किया था। मगर 10 सितंबर को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को ये कार्यक्रम प्रसारित करने की इजाज़त दे दी।
ये है पूरा मामला
दरअसल UPSC परीक्षा में हिन्दू छात्रों के लिए अधिकतम उम्र सीमा 32 वर्ष है जबकि मुस्लिम छात्रों के लिए 35 वर्ष है। इसके अलावा हिन्दू छात्रों को परीक्षा के लिए 6 attempt [मौके] मिलते है। वही मुस्लिम छात्रों को 9 attempt मिलते है।

इसी को लेकर सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने 25 अगस्त को एक टीज़र जारी किया था जिसमें चैनल के संपादक ने यह दावा किया था कि 28 अगस्त को प्रसारित होने वाले उनके कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ में ‘कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफ़ाश’ किया जाएगा।

टीज़र सामने आते ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर आलोचना शुरू हो गई थी। इसके बाद भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के संगठन ने इसकी निंदा करते हुए इसे ‘ग़ैर-ज़िम्मेदाराना पत्रकारिता’ क़रार दिया।
