नई दिल्ली: लगता है अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट को मजाक बना दिया है. मात्र 1 रूपए के लिए वो अब फिर से सुप्रीम कोर्ट का समय खराब करने पहुंच गए है.

गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की आपराधिक अवमानना मामले (Contempt Of Court) में दोषी करार दिए गए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सजा के तौर पर एक रुपये जुर्माने के दंड के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए भूषण ने 31 अगस्त को सुनाए गए कोर्ट के फैसले की समीक्षा करने की मांग की है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जुर्माने की राशि भरने के बाद ही प्रशांत भूषण ने मीडिया से इस बात का जिक्र किया था कि, जुर्माना राशि जमा करने का यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि उन्होंने कोर्ट का फैसला स्वीकार कर लिया है.
प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्विट के कारण अवमानना का दोषी ठहराए जाने के फैसले को भी चुनौती दे चुके हैं. बता दें कि प्रशांत भूषण ने न्यायालय की रजिस्ट्री में अवमानना के मामले में सजा के रूप में एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना अदा करने के बाद 14 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट में पुनिर्विचार याचिका दायर करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें दोषी ठहराने के निर्णय में कानून और तथ्यों की नजर में अनेक त्रुटियां हैंसुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भूषण को सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की आलोचना करने वाले अपने ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया.अदालत ने 31 अगस्त को सजा के रूप में एक रुपये का टोकन जुर्माना लगाया था.
भूषण को 15 सितंबर तक उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री के पास राशि जमा करने के लिए कहा गया था, जिसमें विफल रहने पर उन्हें तीन महीने की जेल की अवधि और तीन साल के लिए कानून के व्यवहार से विचलन से गुजरना होता.
